'नए तत्व' से बदलेगी ज़िंदगी?
एक नए तत्व के लिए शोधकर्ताओं को और सबूत मिले हैं. हालांकि रसायन और भौतिकशास्त्र की आधिकारिक संस्था ने इस नए तत्व की पुष्टि नहीं की है.
वैज्ञानिकों ने पहले से अपुष्ट इस नए तत्व के वजूद के पक्ष में नए सबूत पेश किए हैं. इस तत्व की परमाणु संख्या 115 मानी जा रही है.
रूस के वैज्ञानिकों ने साल 2004 में इस बेहद भारी तत्व की खोज की थी. रसायन और भौतिकशास्त्र की आधिकारिक संस्था ने इसकी पुष्टि नहीं की है.ये तत्व बेहद रेडियोएक्टिव है और एक सेकेंड से भी कम समय तक टिकने के बाद हल्के परमाणुओं में बदल जाता है.
इस तत्व के लिए फिज़िकल रिव्यू लेटर्स नाम के जर्नल में सबूत पेश किए गए हैं.
रेडियोधर्मी पदार्थ
स्वीडन के परमाणु भौतिकी के प्रोफेसर डर्क रुडोल्फ कहते हैं, “ये एक बहुत सफल प्रयोग था और इस क्षेत्र में बीते कुछ सालों में ये सबसे अहम प्रयोग है.”
प्रोफेसर रुडोल्फ का कहना है कि इस तत्व की खोज के बाद इसकी प्रोटॉन संख्या की स्वतंत्र पुष्टि होनी है.
प्रोफेसर रुडोल्फ ने कहा, “ये खोज मानक प्रमाणों के परे है.”
शोधकर्ताओं ने एक संभावित नए तत्व का नया आइसोटोप यानी समस्थानिक बनाया जो अल्फा डिके नाम की एक रेडियोएक्टिव प्रक्रिया से दूसरे कणों में बदल गया.
शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्होंने कुछ ऐसे आंकड़ों को भी छुआ जिनसे एक बहुत भारी परमाणु नाभिक की संरचना और गुणों के बारे में गहरी जानकारी मिलती है.
इन शोधकर्ताओं ने अमरीसियम तत्व की एक पतली फिल्म पर कैल्शियम के आयनों की बौछार की जिससे उन्हें नए तत्व के अल्फा डिके के संबंध में प्रकाश के कणों फोटॉनों को मापने में मदद मिली.
फोटॉनों की कुछ ऊर्जा एक्सरे विकिरण से संभावित ऊर्जा से मिलती है. जो नए तत्व की ‘फिंगरप्रिंट’ के तौर पर काम करती है.
ये प्रयोग जर्मनी में जीएसआई प्रयोगशाला में हुआ जहां वैज्ञानिक पहले छह नए तत्व खोज चुके हैं.
संभावित नए तत्व की इंटरनेशनल यूनियंस ऑफ प्योर एंड अप्लाइड फिज़िक्स एंड केमिस्ट्री के सदस्यों की एक कमेटी समीक्षा करेगी. ये कमेटी ये तय करेगी कि नए तत्व को मान्यता देने से पहले कुछ और प्रयोगों की सिफारिश की जाए या नहीं.
(source-internet)
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