यह कार है या रॉकेट?

यह कार है या रॉकेट?


तेज़ रफ़्तार कार, दुनिया की सबसे तेज़ कार, ब्लडहाउंड कार, रेसिंग कार
एक ब्रितानी टीम ऐसी कार बनाने में जुटी है, जो एक हज़ार मील प्रति घंटा यानी क़रीब 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ेगी. रॉकेट और यूरोफ़ाइटर जैट इंजन से चलने वाली यह कार ज़मीन पर दौड़ने वाला सबसे तेज़ वाहन होगा. 2015-16 में यह कार दक्षिण अफ्रीका के नॉर्थन केप के हेक्सकीन पैन ट्रैक पर दौड़ेगी.
पढ़िए बीबीसी के लिए लिखी विंग कमांडर एंडी ग्रीन की डायरी, जिनके नाम जमीन पर सबसे तेज रफ्तार कार को दौड़ाने का रिकॉर्ड है:

हमारी टीम में प्रेस की भी गहरी दिलचस्पी थी. एक समय तो दो टीमें कवरेज को लेकर आपस में लड़ रही थीं. मुझे डर है कि जब हमारी कार दौड़ेगी तब क्या होगा.'गुडवुड फेस्टिवल ऑफ स्पीड' के दौरान गुज़ारे शानदार सप्ताहांत के बाद मैं अभी भी मुस्करा रहा हूँ. ब्लडहाउंड का बड़ा मार्की (खेमा) उत्साही मेहमानों से भरा था. वे ब्लडहाउंड कार की रफ़्तार, उसके ईजे-200 जेट इंजन और सीधे फैक्ट्री से आए एल्मुनियम डिफ्यूज़र को लेकर उत्सुक थे और हमारी टीम से सवाल कर रहे थे.
ब्लूबर्ड
ब्लूबर्ड और ब्लडहाउंड- दोनों ही गाड़ियों ने रफ़्तार को नए मायने दिए
रफ़्तार की दुनिया की महान कारों का एक साथ होना और उनकी तुलना करना भी काफ़ी दिलचस्प था.

यूं टूटा सनबीम का रिकॉर्ड

सबसे पुरानी कार थी मैल्कम कैंपबेल की ओरिजनल कार- ब्लूबर्ड 350 एचपी सनबीम. यह अंतिम ट्रैक रेसिंग कार थी, जिसके नाम सबसे तेज़ दौड़ने वाली कार का खिताब रहा. इसके बाद रिकॉर्ड बनाने वाली तमाम कारें इसी उद्देश्य से बनाई गईं थीं.
1000 एचपी सनबीम भी वहाँ थी, जो हमें विज्ञापन की ताक़त का अहसास करा रही थी. यह कार प्रथम विश्व युद्ध के युग के दो सनबीम मेटाबेले इंजनों पर चलती थी. हर इंजन 435 एचपी ऊर्जा पैदा करता था यानी दोनों इंजन मिलाकर एक हज़ार एचपी से कम ऊर्जा बनाते थे, लेकिन जब आप अपनी कार पर बड़े अक्षरों में 1000 एचपी लिखते हैं, तो आपको यह जानकर हैरानी होती है कि कितनी तादाद में लोग आप पर यक़ीन कर लेते हैं.
हालाँकि वे इसकी रफ़्तार के बारे में सच बोल रहे थे क्योंकि सनबीम ही पहली ऐसी कार थी, जिसने 200 मील प्रति घंटा की रफ़्तार का रिकॉर्ड अपने नाम किया था.
ब्लडहाउंड
ब्लडहाउंड ज़मीन पर सबसे तेज़ रफ़्तार से दौड़ने वाले वाहन का रिकॉर्ड बनाएगी
आज यह चौंकाने वाली बात न लगे, पर 1927 में जब हैनरी सेग्रेव ने खुली कॉकपिट में बैठकर फ्लोरिडा के डेटोना बीच पर यह कार दौड़ाई थी, तो उनकी आँखों से पानी बह रहा था.
हालाँकि 1000 एचपी सनबीम ज़्यादा दिन तक रिकॉर्ड अपने नाम नहीं रख सकी और कैंपबेल और अमरीकी ड्राइवर रे कीच ने ज़ल्द ही उनका रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया.

कैंपबेल का ट्रैक

सीग्रेव ने बेहद ख़ूबसूरत कार गोल्डन एरो से इसका जबाव दिया. यह इतिहास में सबसे कुशल वर्ल्ड लैंडस्पीड रिकॉर्डधारी कार भी थी. मार्च 1931 में इसने 231 मील प्रति घंटा की रफ़्तार का रिकॉर्ड अपने नाम किया.
कैंपबेल तो जैसे बर्बाद ही हो गए. उन्होंने अफ्रीका के नॉर्थन कैप में ट्रैक तैयार करने में ही छह महीने लगाए थे और उनकी कार सिर्फ 215 मील प्रतिघंटा की रफ़्तार तक ही पहुँच पाई थी. कैंपबेल भले ही मौके पर चूके हों, पर मैं गर्व से कह रहा हूँ कि ब्लडहाउंड एसएससी 2015 में इसी ट्रैक पर दौड़ना शुरू करेगी.
कैंपबेल ने ब्लूबर्ड के अंतिम संस्करण को 1935 में 300 मील प्रतिघंटा की रफ़्तार से दौड़ाकर अपना करियर पूरा किया था. गुडवुड फेस्टिवल में यह कार भी रखी गई थी.
ब्लडहाउंड
इस कार में रॉकेट और जेट इंजन लगा होगा जो इसे हज़ार मील की रफ़्तार तक पहुँचाएगा.
कैंपबेल तब ब्रितानी सरकार से एक क्लासीफाइड इंजन लेने में कामयाब रहे थे. यह हैरत की बात नहीं कि हमारी टीम भी एक सरकारी प्रोटोटाइप इंजना यानी टाइफून विमान का इंजन इजे-200 पाने में सफल रही है.

कार में जेट इंजन

1970 में ब्लूफ्लेम ने लैंड स्पीड रिकॉर्ड बनाते हुए 622 मील प्रति घंटा की रफ़्तार दर्ज की थी. इस कार में रॉकेट पॉवर का इस्तेमाल हुआ था.
ब्लडहाउंड हज़ार मील प्रतिघंटा की रफ़्तार तक पहुँचने के लिए इजे-200 जेट इंजन के साथ एक बड़ा हाइब्रिड रॉकेट इंजन भी इस्तेमाल करेगी.
ब्लूफ्लेम में भी उसी ऑक्सीडाइज़र का इस्तेमाल हुआ था जिसका इस्तेमाल अब ब्लडहाउंड में हो रहा है. कंसेनट्रेटेड हॉइड्रोज़न परॉक्साइड को हाई टेस्ट परॉक्साइड भी कहा जाता है.
दोनों कारों में बड़ा फर्क है इनके ईंधन में. ब्लूफ्लेम में तरल प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल हुआ था, जबकि ब्लडहाउंड में ठोस रबर ईंधन का इस्तेमाल होगा.
रॉकेट के साथ सबसे बड़ी समस्या है- भारी तादाद में ईंधन का इस्तेमाल. ब्लूफ्लेम इतनी भारी थी कि समापन रेखा तक पहुँचने से पहले ही इसका ईंधन खत्म हो जाता था. टीम ब्लूफ्लेम को फोर्ड वी8 से धकेलती थी ताकि इसे गतिमान रखा जा सके.
इजे200 जेट इंजन
इजे200 जेट इंजन को यूरोफाइटर टाइफून के लिए डिज़ाइन किया गया था.
मुझे नहीं लगता कि यह उपाय मौजूदा एफआईए नियमों के तहत वैध होगा. अब गाड़ी को स्वतः संचालित होना ज़रूरी है.
ब्लडहाउंड ने बेहतर उपाय खोज लिया है. हमारे पास इजे-200 जेट इंजन है, जो हमें 300 मील प्रतिघंटा तक ले जाएगा (यब बेहतर शुरुआत होगी). इसके बाद रॉकेट शुरू किया जाएगा.
जेट और रॉकेट को एक साथ इस्तेमाल करके हम दोनों क्षेत्रों की सबसे बेहतर तकनीक एक साथ ला रहे हैं. इस महीने हम ब्लडहाउंड के इंजन की क्षमता को लेकर रॉल्स रॉयस से चर्चा कर रहे हैं.

सरकारी मदद

कार में इंजन लगाने से पहले हम हर पुर्ज़े का परीक्षण करेंगे. यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इजे-200 का गियरबॉक्स टेस्ट रिंग पर स्थापित किया जा चुका है.
चैसिस साइड रेल को भी उनकी जगह स्थापित किया जा चुका है और अब टीम ऊपरी चेसिस पर काम कर रही है, जहाँ इजे-200 इंजन लगाया जाएगा. जल्द ही जैट इंजन भी कार में लगा दिया जाएगा.
ब्रितानी सांसद और विज्ञान मंत्री डैविड विलेट्स इस प्रोजेक्ट की काफी मदद कर रहे हैं. उन्होंने ही चेसिस का पहला नट लगाया. ब्लडहाउड एजुकेशन प्रोग्राम के लिए उन्होंने दस लाख पाउंड की सरकारी मदद की घोषणा भी की.

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