क्या हमें भविष्य के रोबोट से डरना चाहिए?
तकनीकी विषयों की दुनिया की सबसे
पुरानी पत्रिका एमआईटी टेक्नॉलॉजी रिव्यू ने 2011 में विज्ञान की काल्पनिक
कहानियों पर आधारित एक अंक निकाला था.
पत्रिका के मुताबिक़ इस अंक का उद्देश्य नई
तकनीकों की पहचान करना और उन तकनीकों का हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों
की पड़ताल करना था.1937 में एमआईटी ग्रेजुएट ने जॉन कैंपबेल ने एसटॉउंडींग स्टोरीज़ मैगज़ीन का संपादन किया था और उसका नाम बदलकर एसटॉउंडींग साइंस फ़िक्शन कर दिया था.
इसमें विश्वसनीय लगने वाले पात्रों और विज्ञान की कल्पनाओं पर ज़ोर दिया गया था.
ऐसी ही चौंका देने वाली एक कहानी हिरोशिमा बम विस्फोट की घटना से एक साल पहले की है जिसमें परमाणु बम बनाने की बात का उल्लेख हैं.
भविष्य का सामाजिक संवाद
साइंस फ़िक्शन लेखक रॉबर्ट सेवयर 2003 में साइंस फ़िक्शन के सबसे बड़े पुरस्कार ह्यूगो अवार्ड के विजेता है.
उनका कहना है कि उनका काम भविष्य के सामाजिक संवादों की पड़ताल करना है.
राबर्ट सेवयर कुछ ऐसी बातों को लेकर बहुत आशान्वित हो जो लोगों के लिए चिंता का विषय है मसलन भविष्य की ऊर्जा संबंधी ज़रूरतें भी इनमें से एक हैं. वह अपने विज्ञान गल्प के लेखनीय दृष्टि से ऊर्जा के सतत स्रोतों का भविष्य में इतना विस्तार होते हुए देखते हैं कि ऊर्जा संसाधनों की क़ीमत लगभग शून्य हो जाएगी.
सेवयर कहते हैं, "जब हमारे पास हमारी बुद्धिमता के बराबर और दोगुनी बुद्धिमता का मशीन होगा तो कोई कारण नहीं है कि मशीन और इंसान के बीच का यह रिश्ता सहक्रियाशिलता के बदले विरोधाभासी हो जाए."
वह आगे कहते हैं कि लोगों के लिए डर का सबसे बड़ा कारण है कि भविष्य में उसका सामना एक ऐसे बुद्धिमान रोबोट से होने वाला है जो विलक्षण बुद्धिमता वाला होगा और वह इंसान नहीं होगा लेकिन इंसानी आकांक्षाओं वाला होगा.
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