आसमान में कितने तारे...

आसमान में कितने तारे...


जिया टेलीस्कोप
सितारों से आगे जहां और भी हैं.... अब इसी जहान को समझने के लिए इंसान एक बड़ा कदम उठाने को तैयार है.
ब्रह्मांड के रहस्यों की अनदेखी, अलसुलझी गुत्थी सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम है जिया टेलीस्कोप.

इससे सितारों के उद्गम, आकाशगंगा की आयु, उसके जन्म जैसे जटिल सवालों के जवाब मिल सकेंगे.जिया न सिर्फ़ सितारों की गिनती करेगा बल्कि उनके बारे में आकंड़े भी एकत्रित करेगा.

समयातीत फ़िल्म

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के गेरी गिलमोर के अनुसार 1990 में शुरू हुए इस क्लिक करेंअंतरिक्ष अभियान का लक्ष्य लाखों सितारों वाली आकाशगंगा के मध्य और उससे आगे तक का मानचित्र बनाना है.
वैज्ञानिकों के बीच इसे लेकर बहुत बहस हुईं कि क्या यह संभव है. अगर हां, तो इससे हमारे ब्रह्मांड के बारे में बहुमूल्य जानकारी का ख़ज़ाना हाथ लग सकता है.
यह असंभव लगने वाली क्लिक करेंमशीन तैयार कर अंतरिक्ष में भेजी जा रही है. शुक्रवार को यूरोपीय क्लिक करेंस्पेस एजेंसी के जिया टेलीस्कोप को फ्रेंच गुएना ले जाया गया जहां मध्य नवंबर में उसके लॉंच की तैयारियां की जाएंगी.
यह उपग्रह आकाश का सबसे वृहद नक्शा खींचेगा. जो आने वाले कई दशकों तकक्लिक करेंखगोल जगत को दिशा दिखाता रहेगा.
जिया अरबों सितारों पर बारीक नज़र रखेगी और हर एक का विस्तृत ब्यौरा तैयार करेगी.
जिया टेलीस्कोप
आकाशगंगा के रहस्य खोलने को तैयार है जिया
इसमें ख़ासतौर पर दूरी समेत सटीक कोऑर्डिनेट्स, चमक, तापमान, सरंचना, उम्र को शामिल किया जाएगा.
टेलीस्कोप इन करीब डेढ़ अरब सितारों की आकाश में गति तो नापेगा ही वह यह भी देखेगा कि वो किस दिशा में जा रहे हैं-हमारी तरफ़ या हमसे दूर.
प्रोफ़ेसर गिलमोर कहते हैं कि इसकी यही ख़ासियत उन्हें पागल कर देती है. क्योंकि त्रिआयामी तस्वीरों से आकाशगंगा के उद्भव के चिह्नों का पता चल सकता है. आकाशगंगा के भविष्य और भूत में झांका जा सकता है.
वह कहते हैं, "यह एक समयातीत फ़िल्म होगी और हम इसे देखेंगे."
"हम इसके अवशेष, कूड़े की नदी और इसके शुरुआती टुकड़े देखेंगे, जो आज आकाशगंगा बन गए हैं. हम इस प्रक्रिया को को एकदम शुरुआत, जब पहली बार यह चीज़ हुई थी वहां ले जा सकते हैं. हम आकाशगंगा के पूरे इतिहास को अपनी आंखों के आगे खुलते हुए देखेंगे."
लेकिन यही काफ़ी नहीं है. जिया अपनी दृष्टि में चमकने वाली हर चीज़ का रिकॉर्ड रखेगी.
यह हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रहों (एस्टेरॉयड), धूमकेतुओं, नए ग्रहों, नाकाम सितारों, परिवर्तनशील सितारों, सितारों में धमाकों, परिवर्तनीय तारा समूहों (कई तो अरबों प्रकाश वर्ष दूर होंगी) की सूची बनाएगी.
यह एक के बाद एक खोजें करती जाएगी- दरअसल यह इतनी ज़्यादा होंगी कि खगोलशास्त्रियों को हर नई सूचना को समझने में बरसों लग जाएंगे.

कमाल की इंजीनियरिंग

लेकिन यह सब करने के लिए कमाल की इंजीनियरिंग की ज़रूरत पड़ती है.
जिया को एक साथ बहुत सी चीज़ों पर नज़र रखनी होगी, इसके अलावा सेटेलाइट आंकड़े एकत्र करने के लिए अपनी धुरी पर घूमेगी लेकिन इसका आधार चट्टान की तरह मजबूत होना चाहिए ताकि माप सही रहे.
अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर गिसेपे सर्री कहते हैं कि इस अति-क्षमता के लिए बहुत सी चीज़ों की ज़रूरत होती है लेकिन उनमें से कुछ का उल्लेख करना ठीक होगा.
जिया टेलीस्कोप
वह कहते हैं, "जिया से हम 20 परिमाण तक नीचे देख सकते हैं. इसका मतलब यह हुआ इंसानी आंखों की क्षमता से 4,00,000 गुना ज़्यादा हल्की चीज़ को देखा जा सकता है."
"यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक सितारा न सिर्फ़ इसलिए कमज़ोर हो सकता है क्योंकि वह छोटा है बल्कि इसलिए भी क्योंकि वह बहुत दूर है. दूर तक देखने की क्षमता हमें बहुत से सितारों-करीब एक अरब, को देखने की क्षमता देती है."
"यह इतनी हल्की चीज़ को इसलिए देख सका है क्योंकि इसमें बहुत बड़ा और अत्याधुनिक फ़ोकल प्लेन लगा हुआ है. यह सीसीडी हैं- ठीक वैसी ही जैसी आपके मोबाइल फ़ोन कैमरे में होती हैं. लेकिन यह चिप एक सेमी गुणा एक सेमी की होती है. जिया में लगाई गई चिपों से फोकल प्लेम आधे मीटर तक का बन जाता है."
जिया का 106 सीससीडी करीब एक अरब पिक्सल वाली अद्भुत तस्वीरें लेता है.
जिया के दोनों टेलीस्कोप एक मजबूत सिलिकॉन कार्बाइड में फ़िट हैं.
सर्री कहते हैं, "चाहे वातावरण में कितने ही परिवर्तन हों यह नहीं हिलेगा. यह पूरी तरह टिकाऊ है."
जिया में घूमने वाला कोई उपकरण नहीं है. पृथ्वी से संपर्क करने वाला एंटीना भी इलेक्ट्रॉनिकली काम करता है यांत्रिकीय ढंग से नहीं.

हर सवाल का जवाब

90 के दशक में जब खगोलविज्ञानी इस अभियान की तैयारी कर रहे थे तब उन्होंने सितारों की उस संख्या का अनुमान लगाया जिससे आकाशगंगा के अध्ययन का आधार मिल सके क्योंकि आकाशगंगा में अरबों-शायद 100 अरब सितारे हो सकते हैं.
जिया टेलीस्कोप
फिर उन्होंने यह हिसाब लगाया कि जिया के मापन में किस स्तर की सटीकता चाहिए होगी.
यह उपग्रह स्टेलर पैरेलैक्स विधि का इस्तेमाल करता है. इसमें सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के कक्ष की विपरीत दिशा से देखकर किसी सितारे की आकाश में गति को नापा जाता है.
चूंकि हम सूर्य-क्लिक करेंपृथ्वी की दूरी को अच्छी तरह जानते हैं. इसलिए संभव है कि हम सितारे के पिछले छह महीने में आसमान में बनाए गए कोण को समझ सकें.
यह त्रिकोणमिती का एक मामूली अंश है लेकिन ये बहुत छोटे कोण हैं. वस्तुतः एक आर्कसेकेंड (कोण को नापने का पैमाना- एक डिग्री का साठवां हिस्सा) के कुछ टुकड़े भर.
अतिरिक्त टिकाऊ होने का मतलब है कि इसके निष्कर्ष शानदार सटीकता वाले होंगे- सबसे नज़दीकी सितारे के लिए सात माइक्रो-आर्कसेकेंड तक.
यह एंगल चांद पर खड़े अंतरिक्षायात्री के सूट के बटन को देखने जैसा ही होगा. ईएसए की निदेशक अलवारो गिमन्ज़ कहती हैं, "जिया एक खगोलविज्ञानी का सपना है."
"जिया ऐसी मशीन है जो सितारों के बारे में हमारे सभी सवालों का जवाब देने के लिए बनाई गई है."
(source-internet)

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