india at critical situation

देश में आर्थिक इमरजेंसी के हालात पैदा होते लग रहे हैं। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 68 रुपए के पार पहुंच गई। दस ग्राम सोने की कीमत भी 34000 रुपये हो गई। शेयर मार्केट भी गोते लगा रहा है।
तात्‍कालिक तौर पर लोक सभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक (फूड सिक्‍योरिटी बिल ) को मंजूरी मिलने के बाद चालू खाते का घाटा बढऩे की आशंका से रुपया और शेयर बाजार दोनों लुढ़क रहे हैं। 1,320 अरब रुपये की खाद्य सुरक्षा योजना के जरिए देश की तकरीबन 67 प्रतिशत जनता को रियायती कीमतों पर अनाज उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस की मानें तो इस योजना के लिए एक साल में 620 लाख टन अनाज की खरीदारी करनी होगी। इस बिल से बाजार को क्‍यों है डर? इसका जवाब इन तथ्‍यों में छिपा है-
 
फूड सिक्‍योरिटी बिल को लागू करने पर अनुमानित खर्च ये है- 
2013-14 1.25 लाख करोड़ रुपये
2014-15 1.35 लाख करोड़ रुपये
2015-16 1.50 लाख करोड़ रुपये
 
देश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि एक नए खर्च का इतना बड़ा बोझ आसानी से सह जाए। सरकार का कुल खर्चा 16.90 लाख करोड़ रुपये है, जबकि कुल आमदनी मात्र 12.70 लाख करोड़ रुपये है। वित्तीय घाटा 5.2 प्रतिशत (जीडीपी की तुलना में) है और यह निश्चित तौर पर और बढ़ने वाला है। सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी देने का भी लक्ष्‍य तय कर रखा है। ऐसे में बाजार का डर नाहक नहीं है।
 
चालू घाटा पिछले साल जीडीपी का ५ फीसदी हो गया है जबकि १९९१ में चरमरा गई आर्थिक स्थिति के दौरान यह घाटा महज २.५ फीसदी था। २०१२-१३ के दौरान बाहरी कर्ज ३९० अरब डॉलर का है। अल्प अवधि कर्ज १७२ अरब डॉलर का है जिसे मार्च २०१४ तक देना है। यदि चालू खाते में २५ अरब डॉलर नहीं आए तो भुगतान संतुलन का संकट खड़ा हो जाएगा। सिन्हा ने कहा कि राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही सरकार ने योजनागत आवंटन में १ लाख करोड़ की कटौती कर दी है जबकि इतनी ही राशि की योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। 
 
क्‍या होगा असर
 
फूड सिक्‍योरिटी बिल के जरिए सरकार जनता की भलाई करने का दावा कर रही है, लेकिन असल में इससे जनता पर बोझ पड़ने वाला है। योजना के लिए खर्च का इंतजाम करने के लिए सरकार को आमदनी बढ़ानी होगी। इसके लिए टैक्स कलेक्शन बढ़ाना होगा। टैक्‍स कलेक्‍शन बढ़ाने के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को आयकर के दायरे में लाने और आयकर चोरी रोकने की कवायद सालों से चल रही है। लेकिन यह लगभग पूरी तरह बेअसर रही है। ऐसे में ज्‍यादा संभावना इस बात की है कि सरकार लोगों पर टैक्‍स का बोझ बढ़ाए। वैसे भी, सरकार की फूड सिक्‍योरिटी योजना से 67 फीसदी लोगों को रोज करीब तीन रुपये का फायदा होगा, लेकिन जनता पर रोजाना करीब 150 रुपये का बोझ बढ़ेगा।
बुधवार को रुपया ने गिरने का नया रिकॉर्ड बनाया एक डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत 68 के पार चली गई। रुपये की हालत अब कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रही है। भारतीय मुद्रा की कीमत मंगलवार को भी '66' का आंकड़ा भी पार करते हुए 66.24 रुपये प्रति डॉलर के ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर आ गई थी।  
 
गिरावट क्‍यों 
 
चालू माह की जल्द समाप्ति के मद्देनजर आयातकों खासकर तेल रिफाइनरी कंपनियों एवं बैंकों की ओर से अमेरिकी डॉलरों की भारी मांग रहने के कारण ही रुपये की हालत और भी ज्यादा खस्ता हो गई।  विदेशी फंडों द्वारा भारत के शेयर बाजारों से अपना पैसा लगातार निकालना। खाद्य सुरक्षा बिल से राजकोषीय घाटा बढ़ने और भारत की रेटिंग गिरने का अंदेशा। 
 
असर क्‍या
 
पेट्रोल-डीजल महंगा होगा
रोज कर्रा की जरूरत की सभी चीजों की महंगाई बढ़ेगी। लोगों का जीवन स्‍तर बेहतर होने के बजाय कमतर होगा। उनकी बचत कम होगी। उनके पास खर्च करने के लिए पैसे कम होंगे। अंतत: संपूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा विदेश में पढ़ाई पर ज्‍यादा खर्च आएगा विदेश घूमना महंगा पड़ेगा
रुपये की कीमत और सेंसेक्‍स में गिरावट का फायदा किसी को हो रहा है तो सोने यानी गोल्‍ड को। सोने का भाव बढ़ रहा है। कुछ ही समय पहले 30 हजार से नीचे जा चुका सोना बुधवार को 34000 रुपये प्रति दस ग्राम के पार चला गया। वह भी तब जब घरेलू बाजार में ज्वैलरी की मांग नहीं के बराबर निकल रही है। मंगलवार को भी सोने के भाव में 500 रुपये की तेजी आई थी। दिल्ली सराफा बाजार में नौ माह के लंबे अंतराल के बाद सोने का भाव फिर से इस स्तर पर पहुंचा है। एमसीएक्स पर अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में सोने के दाम बढ़कर रिकॉर्ड 33,788 रुपये प्रति दस ग्राम हो गए थे।
 
क्‍यों चमक रहा है सोना 
 
शेयर बाजार में ऊंचे भाव के कारण
रुपये के मुकाबले डॉलर की रिकॉर्डतोड़ मजबूती से
 
क्‍या होगा असर
 
सोने की मांग और घटेगी। वायदा बाजार में मौजूदा स्तरों पर निवेशकों को सोने में निवेश से परहेज ही करना चाहिए।
रुपया जहां लगातार नीचे जा रहा है, वहीं शेयर बाजार भी गोते लगा रहा है। बुधवार को भी बाजार में अच्‍छे संकेत नहीं दिख रहे। मंगलवार को भी रुपया शेयर बाजार को ले डूबा था। बॉम्बे शेयर बाजार का सेंसेक्स तकरीबन 590 अंकों का गहरा गोता खाने पर मजबूर हो गया था। मंगलवार को सेंसेक्स अंतत: 590.05 अंकों अथवा 3.18 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 18,000 से नीचे 17,968.08 अंक पर बंद हुआ था। 
 
क्‍यों गोते खा रहा सेंसेक्‍स
 
रुपये की लगातार कमजोरी के चलते। रुपये के लुढ़क कर नए न्यूनतम स्तर पर आने की खबर मिलते ही विदेशी फंडों।  की बिकवाली की गति तेज हो जाती है। विदेशी फंडों द्वारा घरेलू बाजारों से अपनी पूंजी निकाले जाने के चलते लोकसभा में खाद्य सुरक्षा विधेयक के पारित हो जाने के कारण राजकोष पर सब्सिडी बोझ के काफी बढ़ जाने को लेकर जताई जा रही चिंताओं के चलते बढ़ी शेयरों की बिकवाली की वजह से  कई विदेशी शेयर बाजारों में गिरावट का भी रहा असर
 
क्‍या हुआ असर 
 
मंगलवार को बाजार में भारी गिरावट के कारण निवेशकों के 1.7 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए शेयर बाजार लगातार गिरता रहा तो निवेशकों का भरोसा टूटेगा और इसका सीधा असर कम निवेश के रूप में सामने आएगा।
निवेश नहीं होगा तो इसका सीधा असर विकास में कमी और अर्थव्‍यवस्‍था की कमजोरी के रूप में दिखेगा।

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