जापान की सॉफ़्टवेयर कंपनी सॉफ़्टबैंक ने 'पेपर' नाम का एक ऐसा रोबोट बनाया है जो आपकी संवेदनाओं, जज़्बात को समझ सकता है.
'पेपर' रोबोट इंसानी भावनाओं को समझने के लिए अपने
भीतर बने इमोशनल इंजन का इस्तेमाल करता है. साथ ही, इस रोबोट में एक ऐसा
कृत्रिम ख़ुफ़िया तंत्र मौजूद है जो इंसान के हाव-भाव, इशारों और बात करने
के अंदाज़ को पढ़ लेता है.बिक्री के लिए यह बाज़ार में अगले साल उपलब्ध होगा. क़ीमत होगी 1,930 डॉलर.
संवेदनशील
सॉफ़्टबैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, "अब तक रोबोट के बारे में यही कहा जाता रहा है कि इनमें न कोई एहसास, न संवेदना और न ही दिल होता है."उन्होंने आगे कहा, "मानव इतिहास में यह पहली बार होगा कि किसी रोबोट में दिल और संवेदनाएं भी होंगी."
सॉफ़्टबैंक ने बताया कि कंपनी की देश भर में अपने कई दुकानों पर पेपर को लोगों के लिए रखने की योजना है.
बढ़ता बाज़ार
जापान दुनिया भर में रोबोट का सबसे बड़ा बाज़ार माना जाता है.जापान में जहां बूढ़े लोगों की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है, और जन्म दर घट रही है, रोबोट की मांग में आगे और इज़ाफ़ा हो सकता है.
रोबोट ज्यादा बने तो इसका फ़ायदा उन कारोबारियों को होगा जो मज़दूरों की कमी और मज़दूरी की बढ़ती दरों से परेशान हैं. साथ ही, इससे उन घरवालों को भी आसानी होगी जिन्हें अपने बुज़ुर्गों की देखभाल के लिए किसी केयरटेकर की ज़रूरत होती है.
बराक ओबामा
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जापान की हाल की यात्रा के दौरान इस रोबोट के साथ फ़ुटबॉल खेलते देखे गए.
विश्लेषकों का मानना है कि दुनिया भर में, ख़ासकर जापान में घरेलू रोबोट की मांग बढ़ने की संभावना है, क्योंकि यहां बुज़ुर्गों की आबादी ज़्यादा है.
पेपर को बनाने वाली कंपनी सॉफ़्टबैंक ने इसे फ्रांसीसी कंपनी अलदेबरन रोबोटिक्स के साथ मिलकर तैयार किया है.
अलदेबरन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक ने कहा है, "संवेदनशील रोबोट हमारे जीवन को एक नया विस्तार देगें. इसके अलावा तकनीक को समझने की एक नई पहल है, पेपर."
उन्होंने आगे कहा, "ये तो बस एक शुरुआत है, इसका भविष्य बेहद उज्ज्वल है.